रेफ़ वाले शब्दों के उपयोग में अक्सर गलतियां हो जाती हैं. हिंदी में 'र' का संयुक्त रूप से तीन तरह से उपयोग होता है.
१. कर्म, धर्म, सूर्य, कार्य
२. प्रवाह, भ्रष्ट, ब्रज, स्रष्टाजो अर्ध 'र' या रेफ़ शब्द के ऊपर लगता है, उसका उच्चारण हमेशा उस व्यंजन ध्वनि से पहले होता है, जिसके ऊपर यह लगता है. रेफ़ के उपयोग में ध्यान देने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि स्वर के ऊपर नहीं लगाया जाता. यदि अर्ध 'र' के बाद का वर्ण आधा हो, तब यह बाद वाले पूर्ण वर्ण के ऊपर लगेगा, क्योंकि आधा वर्ण में स्वर नहीं होता. उदाहरण के लिए कार्ड्स लिखना गलत है. कार्ड्स में ड् स्वर विहीन है, जिस कारण यह रेफ़ का भार वहन करने में असमर्थ है. इ और ई जैसे स्वरों में रेफ़ लगाने की कोई गुंजाइश नहीं है. इसलिए स्पष्ट है कि किसी भी स्वर के ऊपर रेफ़ नहीं लगता.
जब भी 'र' के साथ नीचे से गोल भाग वाले वर्ण मिलते हैं, तब इसके /\ रूप क उपयोग होता है, जैसे-ड्रेस, ट्रेड, लेकिन द और ह व्यंजन के साथ 'र' के / रूप का उपयोग होता है, जैसे- द्रवित, द्रष्टा, ह्रास.
व्यंजन के साथ 'र' और 'ॠ' के संयुक्त होने से बनने वाले सही शब्द अक्सर भ्रम पैदा करते हैं :-
ऋतु, ऋद्धि, ऋषि, ब्रज, मातृभूमि, अमृत, ऋण, हृदय, स्रष्टा, स्रोत, सहस्र,
उत्सर्जन, आशीर्वाद, अमर्त्य, उत्तीर्ण, आर्द्र. सौहार्द, अपहर्ता. समाहर्ता, वर्ल्ड, ऊर्ध्व, वर्क्स, एक्सपर्ट्स, स्पोर्ट्स, पोर्ट्स, कार्ड्स, गार्ड्स, फर्स्ट, अवार्ड, अवार्ड्स, निर्माण, पुनर्निर्माण.
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