विडंबना : भारत में राष्ट्रपति बनने के लिए हिंदी जानना जरूरी नहीं, जबकि डाकिया की नौकरी के लिए अंग्रेजी का ज्ञान होना आवश्यक है.


Sunday 18 April 2010

संपादन की चूक - 1

किसी समाचार या लेख के संपादन में यह ध्यान देना जरूरी है कि हम जो जानकारी अपने पाठकों को देना चाहते हैं, वह उनके लिए कितना उपयोगी है. 'किक स्टार्ट मॉर्निंग' शीर्षक से प्रकाशित लेख में सुबह दिन की शुरुआत कैसे करें, इस संबंध में उपयोगी जानकारी दी गयी है, लेकिन लेख का चयन करते समय या संपादन के दौरान इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया कि इसके कुछ अंश हिंदी का अखबार पढ़ने वाले पाठकों के लिए उपयोगी नहीं हैं. लेख में सलाह दी गयी है कि सुबह अखबार पढ़ते समय 'पेज-1 नहीं पहले पेज-3 पढ़ें'. इसमें पेज-3 में प्रकाशित होने वाले जिस तरह के समाचारों का जिक्र किया गया है, वे हिंदी नहीं, अंग्रेजी के अखबारों में प्रकाशित होते हैं, वह भी विदेश के समाचारपत्रों में. भारत हिंदी के लगभग सभी समाचारपत्रों में पेज-3 पर तो गंभीर खबरें प्रकाशित होती हैं. कई अखबारों में तो पेज-3 पर अपराध से संबंधित खबरें प्रकाशित होती हैं. यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि 'किक स्टार्ट मॉर्निंग' शीर्षक से प्रकाशित लेख में उपशीर्षक 'पेज-1 नहीं पहले पेज-3 पढ़ें' वाला हिस्सा हिंदी के समाचारपत्रों के पाठकों के लिए कितना उपयोगी है.

Friday 16 April 2010

भावों की सही अभिव्यक्ति के लिए उपयुक्त शब्दों का इस्तेमाल जरूरी

किसी भी समाचार को पढ़ कर पाठक तो यह समझ ही लेगा कि इसका भाव क्या है. फिर भी भावों की सही अभिव्यक्ति के लिए उपयुक्त शब्दों का इस्तेमाल जरूरी है. आठवीं बोर्ड परीक्षा से संबंधित समाचार में मेधा सूची या मेरिट लिस्ट के स्थान पर वरीयता सूची लिखा गया है. परीक्षाओं के परिणाम विद्यार्थी की प्रतिभा या मेधा के आधार पर तय होते हैं. इसलिए प्राप्तांक के आधार पर बनायी गयी सूची के लिए वरीयता सूची लिखना गलत है. वरीयता का इस्तेमाल तो ग्रहण या मान्य करने के लिए किसी वस्तु या बात को औरों की अपेक्षा अच्छा समझने, अधिमान या प्राथमिकता की अभियक्ति के लिए होता है. प्रतिभाशाली विद्यार्थियों की सूची उनकी प्रतिभा के आधार पर बनती है. यह सूची प्राथमिकता के आधार पर कभी नहीं बनायी जाती. इसलिए मेधावी विद्यार्थियों के प्राप्तांक के आधार पर बनायी गयी सूची के लिए मेधा सूची लिखना ही सही है.
इसी प्रकार उपयोग या इस्तेमाल के स्थान पर अक्सर प्रयोग शब्द लिखा जाता है, जो गलत है. '...80.03 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया' और 'सलाद या पालक से बने खाद्य पदार्थों के साथ दही का प्रयोग बेहद फायदेमंद है' वाक्यों में 'प्रयोग' शब्द खटकने वाला है. प्रयोग प्रयोगशाला में होता है. जब किसी वस्तु का पहली दफा उपयोग या इस्तेमाल किया जाए, तब इसे प्रयोग कहा जाता है. बार-बार व्यवहार में लाने की अभिव्यक्ति के लिए उपयोग या इस्तेमाल लिखना ही सही है. उपयोग या इस्तेमाल की जानेवाली वस्तुओं का फल मालूम रहता है, जबकि प्रयोग की जानेवाली वस्तुओं का परिणाम प्रयोग के बाद ही जाना जा सकता है, जो सकारात्मक भी हो सकता है और नकारात्मक भी. इसलिए प्रयोग शब्द का इस्तेमाल करते समय सावधानी बरतना जरूरी है.

Saturday 3 April 2010

अंग्रेजी के शब्दों की वर्तनी संबंधी भूलें-1


हिंदी में अंग्रेजी के शब्दों का उपयोग करते समय सावधानी बरते जाने की जरूरत है, उच्चारण में दोष होने के कारण अक्सर अंग्रेजी के शब्दों की वर्तनी गलत लिखी जाती है. वर्तनी संबंधी भूल के कारण सही शब्द के स्थान पर गलत शब्द का लिख दिया जाता है. इस प्रकार शब्दों के अर्थ बदल जाते हैं. 'भण्डारी पैनल कौंसिल' शीर्षक और संबंधित समाचार में अंग्रेजी के शब्द कौंसिल (Council ) का उपयोग किया गया है, जिसका अर्थ परिषद, समिति, सभा या महासभा होता है. संबंधित समाचार से स्पष्ट है कि श्री अमित भंडारी अधिवक्ता हैं. इसलिए उन्हें अधिवक्ताओं के पैनल में ही शामिल किया गया होगा. इस समाचार में कौंसिल की जगह काउंसल ( Counsel ) लिखा जाना चाहिए था. काउंसल का अर्थ अधिवक्ता, परामर्श, परामर्शदाता या मंत्रणा होता है.
इसी प्रकार 'सिंघवी वरिष्ठ स्टेंडिंग कौंसिल नियुक्त ' शीर्षक वाली खबर में 'स्टेंडिंग कौंसिल' की जगह 'स्टैंडिंग काउंसल' लिखा जाना चाहिए था. 'स्टैंडिंग कौंसिल' का अर्थ तो स्थायी समिति होता है. जब श्री मगराज सिंघवी अधिवक्ता हैं, तब उन्हें स्थायी अधिवक्ता ही नियुक्त किया जाएगा. वे स्थायी परिषद कैसे हो सकते हैं? 

Saturday 20 March 2010

अंग्रेजी से लिये गए शब्दों की वर्तनी संबंधी भूलें

हिंदी में अंग्रेजी के कई शब्दों को शामिल किया गया है. लेकिन उच्चारण दोष के कारण कई बार अंग्रेजी के शब्दों की गलत वर्तनी लिखी जाती है. इससे शब्दों के अर्थ बदल जाते और कभी-कभी विपरीत हो जाते हैं. 'हेलीकॉफ्टर सारंग की इमरजेंसी लेंडिंग' शीर्षक में अंग्रेजी के शब्द लेंडिंग (lending) का उपयोग किया गया है, जिसका अर्थ उधार या किराये पर देना होता है. तकनीकी खराबी के कारण कोई हेलीकॉप्टर को किराये पर क्यों देगा? यहां लेंडिंग की जगह लैंडिंग लिखा जाना चहिए था, क्योंकि अंग्रेजी के शब्द लैंडिंग (landig) का मतलब उतरने से है. तकनीकी खराबी के कारण कोई हेलीकॉप्टर को किराये पर नहीं दिया जाता, बल्कि जमीन पर उतारा जाता है.

'स्टील उद्योगों का भविष्य उज्ज्वल' शीर्षक वाली खबर में 'स्टेनलैस स्टील' शब्द लिखा गया है. यहां 'स्टेनलैस' की जगह 'स्टेनलेस' लिखा जाना चाहिए था. 'स्टेनलैस स्टील' लिखने से अर्थ ही विपरीत हो गया. अंग्रेजी में stain का अर्थ दाग या धब्बा होता है. उसमें less जोड़ने से बने शब्द stainless का मतलब बिना दाग-धब्बे का होता है. इस प्रकार स्टेनलेस स्टील का अर्थ हुआ बिना दाग-धब्बे या बिना जंग का स्टील. हिंदी में किसी शब्द में लैस का अर्थ सुसज्जित करने से है. जैसे- हथियारलैस. अब स्टेनलैस स्टील लिखने से तो यही लगेगा कि दाग-धब्बे या जंग वाले स्टील की बात की जा रही है. फिर ऐसा स्टील कौन खरीदेगा?

'नहीं लगी किला रोड की रैलिंग' शीर्षक में रैलिंग की जगह रेलिंग लिखा जाना चाहिए था, क्योंकि अंग्रेजी के शब्द rail से railing बना है. रेलिंग का अर्थ घेरा होता है, जो उपर्युक्त शीर्षक के लिए सही है. रैलिंग या rallying अंग्रेजी के शब्द rally से बना है, जिसका अर्थ एक जगह एकत्र होना, स्वास्थ्य लाभ करना उपहास उड़ाना होता है. इसलिए उपर्युक्त शीर्षक में रैलिंग का उपयोग गलत है.

अक्सर ट्रेन की जगह रेल शब्द का उपयोग किया जाता है, जो गलत है. 'रेलों के संचालन में फेरबदल' शीर्षक में रेल का मतलब ट्रेन से है, न कि पटरी से. Rail या रेल अंग्रेजी का शब्द है, जिसका अर्थ होता है पटरी. संचालन तो ट्रेन का होता है, रेल तो स्थिर रहता है. इसलिए उपर्युक्त शीर्षक में रेल की जगह ट्रेन का उपयोग करना चहिए था.

इसी प्रकार 'राजनेताओं के सैक्स स्कैण्डल' शीर्षक में अंग्रेजी के शब्द सैक्स का उपयोग किया गया है. यहां सैक्स की जगह सेक्स का उपयोग करना चहिए था. अंग्रजी के दो शब्द हैं - sex और sack. sex या सेक्स का मतलब यौन संबंध से है, जबकि sacks या सैक्स का उपयोग बोरियों, लूटपाट या निकालने की क्रिया के लिए होता है. उपर्युक्त शीर्षक में सैक्स का उपयोग करने से तो यही लगता है कि राजनेता बोरियों की खरीद-बिक्री से संबंधित किसी घोटाले में शामिल हैं.

'पेन कार्ड के लिए 14 दिन शेष!' शीर्षक में भी पेन का उपयोग गलत है. दरसल यह समाचार पैन कार्ड से संबंधित है. पैन या PAN 'परमानेंट एकाउंट नंबर' का संक्षिप्त रूप है. उपर्युक्त शीर्षक में पेन (Pen) शब्द का उपयोग करने से तो यही लगता है कि समाचार में लिखने के काम में आने वाले कलम की बात की जा रही है.

'बैडरूम की सजावट' और 'बच्चों के बैडरूम की तलाशी' शीर्षक में भी उच्चारण दोष के कारण बेडरूम की जगह बैडरूम का उपयोग किया गया है, जो गलत है. अंग्रेजी में बैड (Bad) का अर्थ खराब, घटिया, बुरा और बेड (Bed) का मतलब पलंग, शय्या, चारपाई होता है. यहां रूम(Room ) का तात्पर्य कमरे से है. स्पष्ट है कि उपर्युक्त शीर्षक में बैडरूम की जगह बेडरूम का उपयोग करना सही है, क्योंकि कोई घटिया कमरे (बैडरूम) की सजावट और बच्चों के लिये घटिया कमरे (बैडरूम) की तलाश क्यों करेगा? 


Monday 15 March 2010

हिंदी शब्दों के उपयोग में भ्रमवश होने वाली अशुद्धियां -5

शब्दों के चयन में होने वाली भूलें


हिंदी अनेक राज्यों की मातृभाषा है. यह विदेशों में भी बोली जाती है. विभिन्न राज्यों में इसकी उपभाषाएं भी हैं. भौगोलिक सीमाओं से ऊपर उठा कर अंतरराष्ट्रीय भाषा का रूप देने के लिए हिंदी का एक मानक रूप स्वीकृत किया गया है. हिंदी की एक और विशेषता है कि यह जैसी बोली जाती है, वैसी ही लिखी भी जाती है. अक्सर गलत शब्दों का चयन या सही उच्चारण नहीं होने के कारण अर्थ का अनर्थ हो जाता है. कई बार अनावश्यक शब्दों का उपयोग भी किया जाता है.

'स्कूल में शराब पार्टी ग्रामीणों ने शिक्षकों को किया ताले में बंद' शीर्षक से तो यही लगता है कि ग्रामीणों ने शिक्षकों को ताले के अंदर बंद कर दिया. छोटे से ताले में एक आदमी को कैसे बंद किया जा सकता है? यहां ग्रामीणों ने शिक्षकों को किया ताले में बंद की जगह ग्रामीणों ने शिक्षकों को किया कमरे में बंद लिखा जाना ज्यादा उचित होता.

'मेहरानगढ़ दुर्ग हादसे की जांच कर रही है पुलिस : सेन' शीर्षक में मेहरानगढ़ से स्पष्ट है कि यहां किसी विशेष दुर्ग की चर्चा की जा रही है. शीर्षक में दुर्ग शब्द लिखने की कोई जरूरत नहीं थी. दूसरे शब्दों में इसे पुनरुक्ति दोष कहा जा सकता है. गढ़ और दुर्ग दोनों का अर्थ किला होता है. इसलिए यहां 'मेहरानगढ़ हादसे की जांच कर रही है पुलिस : सेन' या ''मेहरानगढ़ दुखांतिका' लिखा जाना काफी था. 

'इंस्पायर्ड अवार्ड पाकर खुश हुए विद्यार्थी' शीर्षक से लगता है कि पुरस्कार प्रेरणा से भरा हुआ है. पुरस्कार प्रेरित नहीं होता, बल्कि पुरस्कार से प्रेरणा मिलती है. यहां 'इंस्पायर्ड' की जगह 'इंस्पायर' लिखा जाना चाहिए था. दरअसल 'इंस्पायर' शब्द 'INSPIRE' है. इसका पूरा अर्थ होता है - 'Innovation in Science Pursuit for Inspired Research'. यह केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की एक पुरस्कार योजना है, जिसके तहत स्कूलों के विद्यार्थियों को विज्ञान पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. इसके तहत प्रत्येक स्कूल के दो विद्यार्थियों को (कक्षा छठी, सातवीं व आठवीं से एक और कक्षा नौवीं व दसवीं से एक) पांच-पांच हजार रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है, ताकि वे विज्ञान से संबंधित मॉडेल या प्रोजेक्ट बना सकें.   

'सैलाब' फारसी शब्द है. इसमें दो शब्द मिले हुए हैं, सैल और आब. सैल का अर्थ होता है बहाव और आब का मतलब होता है पानी. इस प्रकार सैलाब का अर्थ हुआ पानी की बाढ़, जल प्लावन या नदी की बाढ़. अक्सर समाचार के शीर्षकों में सैलाब का उपयोग होता है. 'शीतला के द्वार सैलाब' शीर्षक से तो लगता है, जैसे शीतला माता के मंदिर में  पानी की बाढ़ आ गई हो. यहां 'शीतला के द्वार उमड़े श्रद्धालु' लिखना उचित होता. इसी प्रकार भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा की जगह उमड़े भक्त, श्रद्धा का सैलाब की जगह उमड़ी श्रद्धा, श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा की जगह उमड़े श्रद्धालु और जुलूस में उमड़ा सैलाब की जगह जुलूस में उमड़ा जनसमूह लिखना ज्यादा उचित होता.
श्रद्धा, भक्त या श्रद्धालु पानी या पानी की बाढ़ नहीं हैं. मेरा यह मानना है कि इस प्रकार के शीर्षकों में सैलाब शब्द का उपयोग गलत है. शायद हिंदी के विद्वान भी मेरी बात से सहमत होंगे.

Thursday 11 March 2010

हिंदी शब्दों के उपयोग में भ्रमवश होने वाली अशुद्धियां - 4

कुछ शब्दों के पूर्व उपसर्ग जोड़ने में अक्सर भूल हो जाती है. किसी भी शब्द में उपसर्ग का उपयोग करने से पहले इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि इनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता. उपसर्ग किसी शब्द के साथ मिलकर उसका अर्थ बदल देते हैं या उसमें विशिष्टता ला देते हैं. 'उप' का उपयोग निकट, समान, छोटा या गौण के लिए होता है.
समाचारपत्रों में अक्सर यह देखा जाता है कि 'उप' उपसर्ग के उपयोग में भ्रमवश भूल हो जाती है. कई बार यह देखा जाता है कि अंग्रेजी के डिप्टी कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट के लिए हिंदी में उपवन संरक्षक लिख दिया जाता है, जो गलत है. अंग्रेजी के फॉरेस्ट का अर्थ होता है, जंगल या वन, जबकि उपवन का मतलब है, छोटा वन, छोटा जंगल, बाग बगीचा या फुलवारी. डिप्टी कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट के लिए वन उपसंरक्षक लिखना सही होगा.  

इसी प्रकार जिला परिषद के उपप्रमुख के लिए उपजिला प्रमुख लिखा जाना सरासर गलत है. जिला परिषद जिलास्तरीय निकाय है और इसके सद्स्यों का चुनाव सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाता ही करते हैं. जिला परिषद के सद्स्य प्रमुख और उपप्रमुख चुनाव करते हैं. अक्सर जिला परिषद के प्रमुख के लिए जिला प्रमुख और उपप्रमुख के लिए उपजिला प्रमुख लिखा जाता है. यहां जिला परिषद का प्रमुख और जिला परिषद का उपप्रमुख लिखना उचित होगा. राजस्थान सरकार के पंचायतीराज चुनाव मैन्युअल में भी जिला परिषद का प्रमुख और जिला परिषद का उपप्रमुख शब्दों का उल्लेख किया गया है. उपजिला का अर्थ है, उपखंड, अनुमंडल या सबडिवीजन. जिला परिषद के उपप्रमुख के लिए उपजिला प्रमुख लिखने पर इसका अर्थ होगा कि वह उपखंड, अनुमंडल या सबडिवीजन स्तर के निकाय का प्रमुख है. 

Friday 5 March 2010

अंग्रेजी से लिये गए शब्दों का लिंग निर्णय

अक्सर हिंदी समाचार पत्रों में स्कूल, बैंक, ट्रक, होटल जैसे शब्दों का उपयोग स्त्रीलिंग में किया जाता है, जो गलत है. इन शब्दों का उपयोग हमेशा पुंलिंग में किया जाना चाहिए.

हिंदी का अंग्रेजी-भाषा से संपर्क लगभग दो सौ वर्षों का ही रहा है, फिर भी अंग्रेजी के हजारों शब्दों का हिंदी में इतना अधिक उपयोग होने लगा है कि लगता है जैसे वे हिंदी के अपने शब्द हैं. हिंदी में अंग्रेजी शब्द कहीं तो अपने हिंदी के पर्यायवाची शब्द का लिंग ग्रहण कर लेते हैं, तो कहीं हिंदी की लिंग व्यवस्था का अनुगमन करते हैं. हिंदी में अंक, जूता पुंलिंग हैं, तो अंग्रेजी में इनके समान अर्थ वाले शब्द नंबर और बूट भी पुंलिंग हैं. इसी प्रकार हिंदी में दक्षिणा, सभा स्त्रीलिंग हैं, तो अंग्रेजी के इनके समान अर्थ वाले शब्द फीस और मीटिंग भी स्त्रीलिंग हैं.

हिंदी में 'आ' पुंलिंग द्योतक प्रत्यय है, इसलिए अंग्रेजी के आकारांत शब्दों का हिंदी में पुंलिंग रूप में ही उपयोग होता है. जैसे - इन्फ्लुएंजा, कोटा, ड्रामा, डेल्टा, निमोनिया, फाइलेरिया, प्रोपेगेंडा, मलेरिया, सिनेमा, हार्निया, हिस्टीरिया आदि.

अंग्रेजी के ओकारांत शब्द हिंदी में पुंलिंग ही हैं. जैसे- जीरो, हीरो, डायनेमो, पियानो. फोटो, मेमो, मोटो, रेडियो, सैंडो, स्टूडियो, स्नो आदि.

अंग्रेजी के अधिकतर अकारांत शब्द भी हिंदी में पुंलिंग ही हैं. जैसे- अल्कोहल, स्कूल, बैंक, ट्रक, टिकट, स्टील आदि.

अपवाद- अपील, कार, कांग्रेस, कान्फ्रेंस, कौंसिल, गैस, जीप, टीम, ट्रेन, नोटिस, पालिश, पिकनिक, पिक्चर, पिन, पुलिस, पेंसिल, पेंशन, फर्नीचर, फाइल, फिल्म, फीस, मशीन, मिल, मोटर, बस, बेंच, बोतल, रिपोर्ट, रेल, लालटेन,

इसी प्रकार अंग्रेजी के ईकारांत शब्दों का हिंदी में स्त्रीलिंग रूप में उपयोग होता है. जैसे- एलोपैथी, एसेंबली, कमेटी, बैटरी, जनवरी, यूनिवर्सिटी, रैली, ट्राली आदि.

अपवाद- अर्दली, जूरी, संतरी, सेक्रेटरी आदि.

अंग्रेजी के शब्द जिनके अंत में लिंग या शिप होता है, हिंदी में उनका उपयोग स्त्रीलिंग रूप में होता है. जैसे- चैंपियनशिप, लीडरशिप, ड्राइविंग, स्केटिंग आदि.

हिंदी में अंग्रेजी के पुंलिंग शब्द - अल्कोहल, अल्टीमेटम, अल्यूमीनियम, आक्सीजन, आर्डर, ऑपरेशन, ऑडिट, ऑडिटर, ऑडिटोरियम, आफिस, आयल, इंजन, इंजीनियर, इंजेक्शन, इंस्पेक्टर, ईयर, ईस्टर, ईथर, एक्सप्रेस, एक्सरे, एसिड, एंबुलेंस, एसोसिएशन, एक्सरसाइज, एथलीट, एडमिशन, ओवरटाइम, कमीशन, कर्फ्यू, कार्ड, कार्बन, कार्पोरेशन, कापीराइट, कालेज, कालबेल, कॉलरा, कालर, क्रिकेट, क्रिसमस, क्लिनिक, कैरियर, कैंटीन, कैमरा, केन, कैंप, कैरम, कैलेंडर, कैंसर, कोट, कोर्ट, क्लब, क्लास, क्वार्टर, क्लिप, गजट, गाइड, ग्राम, ग्रास, गोल्फ, ग्रामोफोन, गैलन, ग्लास, चाकलेट, चार्जशीट, चार्टर, टाइपराइटर, टाइफाइड, टार्च, टायर, ट्रांजिस्टर, टिकट, टिफिन, टिंचर, ट्यूब, टेबुल, टेम्स, टेनिस, टेप, टेलीप्रिंटर, टेलीफोन, टेलीविजन, टैक्स, टैबलेट, टेंडर, टूर्नामेंट, टूथपेस्ट, टूथपाउडर, ट्रक, ट्रैफिक, ट्रैक्टर, ट्रिब्युनल, ट्रांजिस्टर, ट्रांसफार्मर, डंबल, ड्राम, डायनामाइट, डायनेमो, डायरिया, डिनर, डिवीजन, डिस्पैच, डीजल, डेरा, डेस्क, ड्राफ्ट, ड्रम, ड्रेस, ड्रामा, ड्राइंगरूम, थर्मस, थियेटर, थ्रेशर, नंबर, नाइट्रोजन. नोट, नेकलेस, पंप, पंपसेट, परमिट, पाउडर, पार्क, पासपोर्ट, पार्लियामेंट, पार्सल, पिंगपौंग, पिपरमेंट, पेट्रोल, पेंसिल, प्रेस, पोस्टर, प्रोटीन, प्लास्टर, प्लग, प्लेग, प्लेट, प्लेटिनम, प्लेटफार्म, प्लांट, प्रोमोशन, प्रोपेगेंडा, प्रॉविडेंडफंड, फर्नीचर, फर्म, फार्म, फोर्ट, फाउंटेनपेन, फाइलेरिया, फिनायल, फिलामेंट, फीचर, फील्ड, फ्रॉक, फुटपाथ, फुटबाल, फुलपैंट, फैशन, फ्लैट, फ्यूज, फ्रेम फ्लोर, बजट, ब्रश, वाउचर, ब्रॉडकास्ट, बाथरूम, बुलेटिन, बुलडोजर, बिल, बैंक, बैलेट, बैलून, बैडमिंटन, बोनस, बोर्ड, ब्लेड, ब्लाउज, ब्रेक, ब्लैडर, ब्लॉक, मलेरिया, मिनट, मिशन, मेमो, मेल, मोनोग्राम, मैच, म्यूजियम, यूथ, यूरेनियम, रबर, रॉकेट, राशन, रिकार्ड, रिबन, रिवाल्वर, रिमांड, रिसीवर, रिहर्सल, रेजर, रेस्टोरेंट, लाइसेंस, लिंटर, लिपिस्टिक, लीटर, लीडर, लीज, लेक्चर, लेजर, लेटर, लोशन, लैंप, वार्ड, वारंट, वाउचर, वीटो, वीसा, विकेट, वायरस, सार्जेंट, सिगनल, सिंडिकेट, सीमेंट, सेंट, सेंसर, सेकंड, सैलून, स्कूटर, स्कूल, स्टांप, स्टीमर, स्टील, स्टार, स्टेशन, स्नो, स्लीपर, स्विच, स्केल, स्केच, स्कोर, स्क्रीन, स्क्रैप, स्क्रू, स्कर्ट, स्काउट, श्कालर, स्लाइस, स्टुडियो, स्वेटर, स्टेज, स्टोर, स्टैंडर्ड, हाइड्रोजन, हाइफन, हारमोनियम, हॉल, हॉस्पिटल, हेलिकॉप्टर, हेयर, होम, हैंगर, होटल.

हिंदी में अंग्रेजी के स्त्रीलिंग शब्द - आइसक्रीम, एलोपैथी, एसेंबली, कमेटी, कंपनी, कॉपी, कॉन्फ्रेंस, कारबाइन, केतली, गारंटी, गैलरी, गैस, चिमनी, केमिस्ट्री, जनवरी, जरसी, जेल, जुलाई, ज्योमेट्री, टाई, ट्राली, ट्रेजरी, ट्रेजेडी, डायरी, डयबिटीज, ड्राइंग, डिग्री, डिस्पेंसरी, डिजाइन, डिमांड, डेमोक्रेसी, डिप्लोमेसी, डिपॉजिट, नोटिस, पार्टी, पालिसी, पार्किंग, पार्टनरशिप, पिन, पिक्चर, पुलिस, पेंशन, पेनाल्टी, पेनी, पोस्ट, पोस्टिंग, प्रैक्टिस, फ्लैशलाइट, फ्लाइंगबोट, फरवरी, फिलॉसफी, फैकल्टी, फैक्टरी, बायोलॉजी, बाइबिल, बोरिंग, ब्लीडिंग, बार्ली, बैटरी, म्यूनिसिपैलेटी, यूनिवर्सिटी, रैली, रेलिंग, राइफल, रिव्यू, रिपोर्ट, रेट, रेजिमेंट, रेलवे, लिस्ट, लीडरशिप, लीक, लॉटरी, लैबोरेटरी, साइंस, साइकिलिंग, सीनेट, सीरीज, सैल्यूट, स्पीच, स्पीड, स्टाइल, स्लेट, स्किन, स्टिक, स्ट्राइक, स्प्रिंग, स्पिरिट, स्कीम, स्लिप, हॉकी, होम्योपैथी.

Wednesday 3 March 2010

हिंदी शब्दों के उपयोग में भ्रमवश होने वाली अशुद्धियां-3

बैंकों में लूट दिनदहाड़े ही होती है
आमतौर पर अखबारों में समाचार वैसी घटनाओं के आधार पर बनते हैं, जो सामान्य प्रकृति और नियमों के विरुद्ध होते हैं. वर्षों पहले चोरी, लूट व डकैती की घटनाएं अक्सर रात में ही होती थीं. उन दिनों इस तरह के अपराध दिन में होने पर आश्चर्य होना स्वाभाविक था. भारत में अधिकतर बैंक दिन में ही खुलते हैं और उनमें लेनदेन दिन में ही होता है. जिन बैंकों में दिन में कार्य होता है, उनमें लूट की संभावना भी दिन में ही रहती है. इसलिए अगर दिन के समय में किसी बैंक में लूट की घटना होती है, तो संबंधित समाचार में दिनदहाड़े शब्द का उपयोग करना गलत होगा. बैंक दिन में खुलेंगे, तो लूट की घटना भी दिन में ही होगी. वाक्य में एक साथ 'दोपहर दिनदहाड़े' लिखना तो बिल्कुल गलत है, दोपहर भी दिन में ही होती है. हेडिंग में 'दिनदहाड़े बैंक लूटा' पढ़ कर ऐसा लगता है कि जहां लूट की घटना हुई है, उस बैंक का नाम 'दिनदहाड़े बैंक' है, जैसे 'देना बैंक' 'इलाहाबाद बैंक'.

Tuesday 2 March 2010

हिंदी शब्दों के उपयोग में भ्रमवश होने वाली अशुद्धियां - 2

रेफ़ वाले शब्दों के उपयोग में भ्रमवश होने वाली भूलें
रेफ़ वाले शब्दों के उपयोग में अक्सर गलतियां हो जाती हैं. हिंदी में 'र' का संयुक्त रूप से तीन तरह से उपयोग होता है.
१. कर्म, धर्म, सूर्य, कार्य
२. प्रवाह, भ्रष्ट, ब्रज, स्रष्टा
३. राष्ट्र, ड्रा

जो अर्ध 'र' या रेफ़ शब्द के ऊपर लगता है, उसका उच्चारण हमेशा उस व्यंजन ध्वनि से पहले होता है, जिसके ऊपर यह लगता है. रेफ़ के उपयोग में ध्यान देने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि स्वर के ऊपर नहीं लगाया जाता. यदि अर्ध 'र' के बाद का वर्ण आधा हो, तब यह बाद वाले पूर्ण वर्ण के ऊपर लगेगा, क्योंकि आधा वर्ण में स्वर नहीं होता. उदाहरण के लिए कार्ड्‍‍स लिखना गलत है. कार्ड्‍स में ड्‍ स्वर विहीन है, जिस कारण यह रेफ़ का भार वहन करने में असमर्थ है. इ और ई जैसे स्वरों में रेफ़ लगाने की कोई गुंजाइश नहीं है. इसलिए स्पष्ट है कि किसी भी स्वर के ऊपर रेफ़ नहीं लगता.
ब्रज या क्रम लिखने या बोलने में ऐसा लगता है कि यह 'र' की अर्ध ध्वनि है, जबकि यह पूर्ण ध्वनि है. इस तरह के शब्दों में 'र' का उच्चारण उस वर्ण के बाद होता है, जिसमें यह लगा होता है.
जब भी 'र' के साथ नीचे से गोल भाग वाले वर्ण मिलते हैं, तब इसके /\ रूप क उपयोग होता है, जैसे-ड्रेस, ट्रेड, लेकिन द और ह व्यंजन के साथ 'र' के / रूप का उपयोग होता है, जैसे- द्रवित, द्रष्टा, ह्रास.
संस्कृत में रेफ़ युक्त व्यंजनों में विकल्प के रूप में द्वित्व क उपयोग करने की परंपरा है., जैसे- कर्म्म, धर्म्म, अर्द्ध. हिंदी में रेफ़ वाले व्यंजन को द्वित्व (संयुक्त) करने का प्रचलन नहीं है. इसलिए रेफ़ वाले शब्द गोवर्धन, स्पर्धा, संवर्धन शुद्ध हैं.
व्यंजन के साथ 'र' और 'ॠ' के संयुक्त होने से बनने वाले सही शब्द  अक्सर भ्रम पैदा करते हैं :-

ऋतु, ऋद्धि, ऋषि, ब्रज, मातृभूमि, अमृत, ऋण, हृदय, स्रष्टा, स्रोत, सहस्र,
उत्सर्जन, आशीर्वाद, अमर्त्य, उत्तीर्ण, आर्द्र. सौहार्द, अपहर्ता. समाहर्ता, वर्ल्ड, ऊर्ध्व, वर्क्स, एक्सपर्ट्स, स्पोर्ट्स, पोर्ट्स, कार्ड्‍स, गार्ड्स, फर्स्ट, अवार्ड, अवार्ड्स, निर्माण, पुनर्निर्माण.

Thursday 25 February 2010

हिंदी शब्दों के उपयोग में भ्रमवश होने वाली अशुद्धियां- 1


किसी शब्द में 'करण' के जुड़ने पर होने वाली भूलें
जब 'करण' किसी शब्द में जुड़ता है, तब किसी कार्य के होने का या वह जो कुछ किया जाए, उसका बोध कराता है. 'करण' प्रायः विशेषण से जुड़ता है. यह जिस शब्द से जुड़ता है, उसके अंतिम वर्ण को 'ईकार' कर देता है.
हिंदी समाचार पत्रों में अक्सर सशक्तिकरण, संतुष्टिकरण, तुष्टिकरण, शुद्धिकरण, प्रस्तुतिकरण आदि शब्दों का उपयोग होता है, जो गलत हैं, क्योंकि इनमें करण के पहले आने वाला वर्ण 'ईकार' नहीं हुआ है. इन शब्दों को लिखने वालों को लगता है कि ये शब्द क्रमशः सशक्ति, संतुष्टि, तुष्टि, शुद्धि और प्रस्तुति में करण जोड़ कर बने हैं, जबकि ये शब्द सशक्त, संतुष्ट, तुष्ट, शुद्ध और प्रस्तुत से बने हैं. इन शब्दों में करण जुड़ने से इनका अंतिम वर्ण 'ईकार' हो जाएगा और शुद्ध रूप होगा- सशक्तीकरण, संतुष्टीकरण, तुष्टीकरण, शुद्धीकरण और प्रस्तुतीकरण. इसके कुछ अपवाद भी हैं. प्रचलित हो जाने के कारण राष्ट्रीयकरण को उसी रूप में स्वीकृत कर लिया गया है. लेकिन इसके आधार पर केंद्रीयकरण और देशीयकरण लिखा जाना गलत है. इनका शुद्ध रूप होगा- केंद्रीकरण और देशीकरण.
कुछ ऐसे भी शब्द हैं, जो करण में उपसर्ग लगा कर बनाये जाते हैं. हिंदी के दो उपसर्ग अधि और अभि में करण जुड़ने से अधिकरण और अभिकरण शब्द बनते हैं. उपसर्ग के मूल रूप में परिवर्तन नहीं होने से उसका अंतिम वर्ण ईकार नहीं होता है. समानाधिकरण और प्राधिकरण भी अधिकरण शब्द से ही बने हैं.
'करण' जुड़ने से बने शब्दों के कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं :-
सशक्त से सशक्तीकरण, संतुष्ट से संतुष्टीकरण, तुष्ट से तुष्टीकरण, शुद्ध से शुद्धीकरण, प्रस्तुत से प्रस्तुतीकरण, सौंदर्य से सौंदर्यीकरण, पुष्ट से पुष्टीकरण, समष्ट से समष्टीकरण, संस्कृत से संस्कृतीकरण, मानक से मानकीकरण, पवित्र से पवित्रीकरण, निःशस्त्र से निःशस्त्रीकरण, साधारण से साधारणीकरण, उदार से उदारीकरण, लवण से लवणीकरण, विलवण से विलवणीकरण, नव से नवीकरण, विशेष से विशेषीकरण, नूतन से नूतनीकरण, सुंदर से सुंदरीकरण, सम से समीकरण, संक्षिप्त से संक्षिप्तीकरण, स्पष्ट से स्पष्टीकरण, विद्युत से विद्युतीकरण, पश्चिम से पश्चिमीकरण, पाश्चात्य से पश्चात्यीकरण, औद्योगिक से औद्योगिकीकरण, राजनैतिक से राजनैतिकीकरण, आधुनिक से आधुनिकीकरण, नवीन से नवीनीकरण.